मानव अक्खड़ होते हुए भी होता बहुत चतुर, पड़े ज़रूरत तो कर लेता हृदय को पत्थर। इसकी जिजीविषा की महिमा है वेदों में वर्णित, वक्त पड़े तो त्याग दे बिन-झिजके यह अपना घर ||
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