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पुरुष सांड है प्यार है उसका जिस्मों की थर-थर , औरत गाय है उसकी प्रीत में होता बहुत सबर | बीज गरब में धारण करती, रक्त से करती सिंचन , पुरुष बीज दाल कर केवल उसे बिठाता घर |
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