तेरी नज़र मेँ तेज़ और तीखे और पैनी नश्तर , चुभते है जब तो रहता है इनका मुझे न डर | कसक सुहानी और मद- महकी यह देते मुझको , तभी इन्हे मै बिना निकले लेकर आया घर||
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