परमेश्वर है एक इकाई , न नारी न नर, हर वास्तु में वास है उसका जानू ज़ोरावर | रूप न उसका, न गुण-वृति ,सीमा है बे-हद , उसकी हद को ढूंड न मूर्ख बैठे-बिठाये घर ||
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