घर की शोभा बने गृहस्ती और उसके अंदर आशाओं के बीजों से ही फूटे प्रेमांकुर | यह है क्यारी तू माली है सींच गुढ़ाई कर, मधुर सुवासित गुलदस्तों से सजेगा तेरा घर ||
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