चलो सुनें चूं- चूं चूसों की मुर्गों की कुड़- कुड़ , मन किया तो मोल से लेंगे चूज़ा या ‘कुक्कड़’ | प्रीत भी दिल के टुकड़े कर के इसी तरह है खाती , दिल यह समझे प्रेम ही उसका सुखद सुहाना घर ||
Copyright Kvmtrust.Com