यहाँ बिकाऊ हर वस्तु है गिरजे और मंदिर, बेचने आया मैं भी अपना रोटी खातिर घर | पर यह मेरी पत न माने करती मिन्नतें-शिकवे, रोटी और कपड़े की खातिर भाई बेच न घर ||
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