Back to Ghar verse
बीते समय के खेत में दिखता मुझको ये अक्सर, घर बनाता बालक कोई ढेरी के ऊपर। मैं बचपन को याद करूँ तो अंतर समझ में आए, सपने वाला कैसा था और कैसा असली घर ||
वे योद्धा थे, ज़ालिम थे वे सब है मुझे खबर , ज़ुल्म किये मेरे पुरखों ने कैसे बेटियों पर | वंशावली दिखाते अपनी होती मुझे ग्लानि , धिक वीरता, दफनाते नवजात बेटियां घर ||
छड़ी बलूत की हाथ में मास्टर जी आते लेकर, हमने सबक न याद किया है हम तो है निडर | घर पहुंचो तो याद न रहते मास्टर और स्कूल, नयी ही दुनिया हो जाती है अपना कच्चा घर ||
Copyright Kvmtrust.Com